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कुछ यादों की डायरी : सितम्बर 2021

सिंतबर

वक़्त बेवक़्त कुछ याद रह जाती है यादों में यादों के सहारे...! ज़िंदगी सौ दर्द के बदले एक खुशी देती है मगर वो खुशी इतनी बेहतरीन होती हैं कि अगर उसे संभाल कर रखा जाए तो वो जीवन का सबसे अनमोल तोहफा हो जाता है।

मैं उठकर खड़ा हुआ, खुद से नजरे मिलाया, अपनी मन को जाना, और जब मन की आँखों से दुनिया को देख तो दुनिया अलग नजर आयी, पहले से बेहतर.. कहीं ज्यादा खूबसूरत! अपने मन से रूबरू होने का एहसास कुछ ऐसा है मानो जैसे मृगा ने कस्तूरी ढूंढ ली हो... सारी बेचैनियां, सवाल सब साबुन की झाग के तरह थम गए, एक सुकून सा मिला। मन से यह मुलाकात अप्रितम था, मैंने तब जाना और समझा कि जिन्हें मैं बेवजह सिर पे चढ़ाए हुए था वे असल में इसके काबिल ही नहीं थे। जिन्हें मैं हर पल संजोए रखता था वे केवल मुझे तोड़ने के लिए ही बने थे। मेरे मन ने मुझे आईना दिखाया, मुझे खुद से ही रूबरू कराया मैंने अपनी पहचान जानी फिर जो मुझे बिखेरने की ख्वाहिश लेकर चले थे मैंने उनसे दूरियां बना ली, क्योंकि उन्हें भी पता था कि अगर ये अपने पर आया तो क्या करेगा... मगर उन्हें ये नहीं पता था कि मेरे मन ने मुझे हरेक चीज समझा दी, एक एक चीज जब मैं जानता गया तो मुझे भी ताज्जुब हुआ.... मैं इतना बेवकूफ कैसे..? मगर मेरी अपनी प्रॉब्लम है कि मैं लोगो को अपना मान लेता हूँ और ये लोगो की ऑस्कर विनिंग एक्टिंग है कि दिल बुद्धू बना रह जाता है!

मगर कहते हैं न जब मन दिखाता है तो सब सच दिखता है, फिर सारे पर्दे हट जाते हैं, फिर यकीन और नायक़ीनी के बीच का वो हल्का सा झीना सा दायरा नजर आने लगता है और फिर हम ऐसी दिशा में बढ़ते हैं जहां से हम पूर्णता को प्राप्त होते हैं। मैंने अपने मन को ही अपना गुरु समझा, उसने हर पल मुझे सही गलत का फासला सिखाया है। खुद पे यकीन करने का बड़ा फायदा ये है कि आप कभी धोखा नहीं खा सकते।

इसी के साथ मुझे "प्रेमम : एक रहस्य" को भी कम्पलीट करना था। हाँ जानता हूँ कुछ ज्यादा ही आलस करता हूँ, पर मैंने इस कहानी में अब तक का सबसे ज्यादा मेहनत किया हुआ है, मन ने मेरे अंदर जज्बा भरा, सुकून भरा, कुछ करने की आग भरी, और फाइनली 18 सितम्बर को कहानी कम्पलीट हो गयी।

इसके बाद गांव के कोरोना वैक्सीनेशन में भी सक्रिय सहयोग किया, लोगो को मोटिवेट करना और बैठकर सबके रेजिस्ट्रेशन करना, ये अपने आप में सुकूँ वाला काम था। मन ने कहा वही करो जिसमें सुकून मिले, दिल ने मन की बात सुनी... और फिर क्या निकल पड़े सुकून की तलाश में..! मगर जिंदगी में आग लगाने वाले भी पेट्रोल महंगा होने के बाद भी छिड़ककर अपने एहसानों को गिनाकर हमेशा सुकून का गला घोंटने का काम करते रहे... उन्हें लगा ये तो बस हर बार की तरह झुक जाएगा और क्या... वैसे भी ये अपनो को खोने से डरता है..! मगर सच ये है कि अगर एक ही जख्म बार बार कुरेदा जाए तो फिर जख्म वाले हिस्से को काटकर अलग कर देना ही बेहतर होता है। पर मन ने कहा हर किसी को अंतिम मौके का हक़ है...! खैर अपने एहसान गिनाने वालों की दुनिया में न कभी कमी थी न कभी होगी... पर अपना तो वही है जो बिना अपना लाभ हानि देखे हर समय आपके साथ हो, बदले में वह आप से भी इसकी अपेक्षा अवश्य ही कर सकता है, मगर वो कभी भी आपके लिए किए गए अपने कार्य नहीं गिनाएगा..! मगर कहते हैं न कुछ लोग ख़ंजर लग जाने के बाद भी मुस्कुराते हैं, कुछ बस फांस गड़ने पर पूरे मोहल्ले को सिर पे उठा लेते हैं...! दुनिया उनको ही देखती है जो हर चीज पे ओवररियेक्ट करते हैं..! खैर जमाने का क्या है, जमाने से तो अपनी कभी जमी ही नहीं....! मन ने कहा सब छोड़.. बस सुकूँ की तलाश कर....! ये दुनिया न किसी की हुई है ना किसी की होगी, ये सब उसी के पीछे भागते है जो सबसे आगे चलता है..!

फिर क्या जीने का नया तरीका लेकर जीने निकल पड़े, ये इस साल ने सबसे बेस्ट चीज दी मुझे... मुझे अंदर से खुशी महसूस हुई.. ..

मिलते हैं....!

राधे राधे🥰


#डायरी

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13 Comments

🤫

28-Dec-2021 05:51 PM

बेहतरीन डायरी लेखन..!

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Dr. SAGHEER AHMAD SIDDIQUI

26-Dec-2021 10:22 PM

Wah

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Dhanyawad

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लाजवाब बन्धु लाजवाब 👌👌

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